Rural Backyard Poultry Development Program Under National Livestock Mission
(नेशनल लाइवस्टाक मिशन अन्तर्गत रूरल बैकयार्ड पोल्ट्री डेवेलपमेंट प्रोग्राम)
योजना का उददेश्य- इस योजना का मुख्य उददेश्य ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे परिवारों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना, उनके पोषण स्तर में सुधार लाना, ग्रामीण परिवारों की आय में बढ़ोतरी करना, घर में बचे हुये आहार को उच्च गुणवत्ता वाले आहार में परिवर्तित करना, अण्डा एवं कुक्कुट मांस के उत्पादन में वृद्धि करने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में कुक्कुट पालन को बढ़ावा देना है। योजना का विवरण- योजनान्तर्गत मदर यूनिटों की स्थापना की जाती है जिसके माध्यम से योजनान्तर्गत चयनित बीपीएल लाभार्थियों को लो इनपुट टेक्नोलाजी के चूजे उपलब्ध कराये जाते हैं। एक मदर यूनिट से 300 चयनित बीपीएल लाभार्थी सम्बद्ध किये जाते हैं जिसके 20 प्रतिशत लाभार्थी अनुसूचित जाति /जनजाति के एवं 20 प्रतिशत अल्पसंख्यक वर्ग के होते हैं। कुल चयनित लाभार्थियों में 30 प्रतिशत महिलायें होती हैं। एक मदर यूनिट पर लो इनपुट टेक्नोलाजी के चूजे 28 दिवस तक पाले जाते हैं तथा 29वें दिन उन्हें चयनित बीपीएल लाभार्थियों को वितरित किया जाता है। लो इनपुट के चूजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। यह दाना चुगकर अपने भोजन की पूर्ति कर लेते हैं जिसके कारण कुक्कुट आहार की आवश्यकता बहुत कम पडती है। घर का बचा हुआ भोजन भी यह पक्षी खा लेते हैं तथा इनकी मृत्यु दर भी काफी कम होती है। प्रत्येक लाभार्थी को लो इनपुट टेक्नोलाजी के 45 चूजे दो चरणों में दिये जाते हैं। प्रथम चरण में 25 चूजे तथा इसके तीन माह बाद दूसरे चरण में 20 चूजे दिये जाते हैं। योजनान्तर्गत प्रत्येक लाभार्थी को रू0 1500.00 का अनुदान दिया जाता है जिससे वह इन चूजों के लिये छप्पर एवं आहार की व्यवस्था करता है। लाभार्थी को मादा पक्षियों से अण्डे तथा नर पक्षियों से प्राप्त कुक्कुट मांस की बिक्री से आय प्राप्त होती है। मदर यूनिट संचालक को मदर यूनिट की स्थापना, आहार देने एवं पानी पिलाने के उपकरणों की व्यवस्था हेतु रूपया 60000.00 मात्र का अनुदान दिया जाता है। इसके अतिरिक्त चूजों को पालने के लिये प्रति चूजा रू0 50.00 की दर से भुगतान किया जाता है जिसमें चूजे का मूल्य, आहार, मजदूरी, दवा, वैक्सीन इत्यादि सभी व्यय सम्मिलित हैं। मदर यूनिट संचालक का बीपीएल होना अनिवार्य नहीं है। लाभ- 28 दिवस के चूजे प्राप्त होने के कारण लाभार्थी को उसे पालने में आसानी होती है तथा कम समय में ही अण्डे प्राप्त होने लगते हैं। अण्डों के साथ-साथ कुक्कुट मांस का भी उत्पादन होता है। लाभार्थी को अतिरिक्त आय के साथ रोजगार भी मिलता है।
अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें-
डा0 प्रणीत कुमार प्रधान (Dr. P.K. Pradhan)
संयुक्त निदेशक (कुक्कुट) निदेशालय, पशुपालन विभाग,
उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
दूरभाष- 0522-2740102, |